मां.मरियम का स्वार्गारोहण 15 अगस्त 2012 आज का विषय: हमारे जीवन में मां मरियम की जगह/
प्रकाशन ग्रंथ मेंसे पहला पाठ 11:19, 12:1-6, 10 स्त्री एवं माहा सर्प/
कुरिंथियों के नाम पॊलुस के प्रथम पत्र में से दूसरा पाठ 15-20-27 अपने पिता के पास म्रत्यु पर विजय पताका फहरा रहे हें प्रभु मसीह/
सुसमामाचार संत लुकस के ग्रंथ मेंसे/ 1:39-56 मां मरियम, एलिजाबेथ के गर्भावस्ता केआ समाचार पाकर मिलने जाती/
संत पापा पीयुस बारवें ने मां मरियम के स्वर्गारोहण का त्योहार पवित्र कली सिया के जीवन का अभिन्न हिस्स्स बना कर दिया/
1950 में उन्होंने एक नंवंबर को इस त्योहार की घोषणा की/
भारत वासी 15 अगस्त को स्वतंत्र हुए/
इस बात को मनाने के लिए उस समय के बिशपस्वामियों के समूह ने इस त्योहार को स्वतंत्रता से जोड कर उसी दिन भारत में मनाने को तय किया/
देश की स्वतंत्रता ऒर अपनी स्वतंत्रता इस त्योहार का एक अभिन्न अंग हे/
हमें येसू ख्रिस्त ने अपने पापों से स्वतंत्र किया, तो देश की स्वतंत्रता ऒर अपनी स्वतंत्रता एक समान न हुई/.
देश 1947 अंग्रेजों के बंधन से मुक्त हुआ/
हम पाप के बंधन से येसूके मरण ऒर पुनरुत्तान से मुक्त हुए/
मां मरियम को पिता ईश्वर ने उनके पॆदा होने के पूर्व चुना कि वह उनके बेटे की मां बने/
इस कार्य को सॊंपने के पूर्व पिताने मां मरियम को पाप मुक्त रखा/
जिससे प्रभु येसू की मां निष्कलंकित रहे/
उन्हें कोई भी कलंक दूषित न कर सका/
मां मरियम कलीसिया का एक अभिन्न अंग रही हॆ/
प्रभु येसू मसीह ने उनके शहादत के समय अपनी मां को अपने दुख का एक हिस्सा बनाया/
ईसा के हर महत्वपूर्ण अवसर पर मरियम उपस्थित थी/
पवित्रात्मा की प्रेरणा से जब कली सिया का निर्माण हुआ, मां वहां उपस्थित थी/
जब आत्मा शिश्यों पर उतरा उस समय मां का वहां रहना एक महत्वपूर्ण संकेत हम सबको मिलता कि मां का कलीसिया में क्या स्थान हॆ/
इसी बात को सिध्द करने परमॆश्वर ने उसे शरीर ऒर आत्मा के साथ स्वर्ग में उटा लिया/
वय राणियों की माहान राणी, सारे संसार ऒर स्वर्ग की माहाराणी हॆ/
ईश्वर का आत्मा कलीसिया के लिए इस महत्वपूर्ण त्योहार से अपनी उपस्थिती की पहचान कराता हॆ/
पवित्रात्मा ने शिश्यों के जीवन में नई प्रेरणा फूंक दी ऒर उन्हें बल प्रदान किया/
मरियम को कलिसिया में एक विषेश स्थान हॆ/
जेसे प्रभु येसू अपने पिता के साथ स्वर्ग में विराजमान हॆं/
वॆसे ही वह अपनी मां के साथ स्वर्ग में विराजमान हे/
मां अपने बेटे के साथ स्वर्ग में विराज्मान होकर हम सब का स्वागत करने तॆयार बॆठी हॆ/.
स्वर्ग में प्रवेष पाने के लिए पाप रहित होना आवश्यक हॆ/
जब हम सांसारिक जीवन समाप्त कर स्वर्ग जांयेंगे तो हम भी तब पाप से मुक्ति का अनुभव कर ईश्वर के पुत्र पुत्रियां कहलाने के योग्य हो जाएंगे/.
मां मरियम बहुत ही नम्र स्वभाव की थी/
उसी नम्रता का फ्ल हॆ आज वह स्वर्ग की महाराणी बनी/
हम भारती दॆश में जब अपनी स्वतंत्रता का त्योहार मनाते/
तब हम अपने जीवनी कई परॆशानियों से मुक्ति पाना चाहते/
यह मरियम की सह्भागितासे संभव हॆ/
हमें भारतवासियों के रूप में ईश्वर ने चुना हे कि हम अपने जीवन के उदाहरण से लोगों को एक नमूना पेश कर सकें कि सच्चई क्या हे?
जिस प्रकार से मरियम ईश्वर की दासी बन कर अपना कार्य पूरी की वही हम सबको करने की प्रेरण्ण देती हे/
जिस तरह से मां पापों से मुक्त रही उसी तरह से ईश्वर हम सब को पाप मुक्ति देना चाहते/
हमें निरंतर उनकी प्रेरणा को अपना कर उनकी इच्छाअ के अनुरूप कार्य करने की कोशीश करना चाहिए/
हमें अपने आदि माता मिता से वय पाप का कलंक मिला हॆ/
उस कलंक को हम अपने जीवन की अच्छाइयों से मिठा सकते हें/
येसू ने अपने क्रूस के म्रत्यु से हम सब को पाप के बंधन से मुक्ति का दर्वाजा खोल दिया हॆ/
उसे अपनाने का कार्य अब हम पर निर्भर रहता हे?
आज हम सब भारतवासी अपने दॆश की स्वतंत्रता का आनंद मना रहे हॆं/
देश विदेशियों के बंधन से मुक्त हॆ/
पर अनेक प्रकार की बेढिया हम सबको जक्डे हें/
जॆसे, जातिवाद, धार्मांधता, घूसखोरी, घंमंड, गर्व, स्वार्थ आदि प्रकार के बंधनों से हमे अजादि पाना हॆ/
आज मां हमें बुला कर अपने पुत्र के अनुकंपासे विभूशित कर्ना चाहती हॆ/
प्रकाशन ग्रंथ के आज के पहले पाठ में हमें उस महिला का संकेत मिलता हॆ, जिसने महासर्प को बांध रखा/
दूसरे पाठ में संत पॊलुस हमें कुरिंथियों के पहले पत्र में बताते कि किस प्रकार से ईसाने अपने म्रत्यु द्वारा स्वर्ग का द्वार हम सब के लिए खोल दिया/
इस से पिता ईश्वर ने हम सब को उस के पास आने का न्योता दिया हॆ/
जिस प्रकार मां मरियम को वहां शरीर ऒर आत्मा के साथ ले जाया गया वॆसे ही हमें भी उसी स्वर्ग राज में ले जाया जायेगा/
आज भारत वासी गर्व के साथ एक स्वर से अपने अधिकार ऒर कर्थव्य को समझ कर आगे बढ सकते/
आइए आज हम सब प्रण लें कि आपसी भाईचारे ऒर एकता से हम अपने दॆश को पाप के बंधन से मुक्त कर ने कि कोशीश करेंगे/
आपका
फादर जुजे वास एस.वि.डी.
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