आज का विषय: ईश्वर हर चीज को मानव के उपयोग के लिए बनाते हॆं/
उत्पत्ती ग्रंथ में से पहला पाठ 2:18-24 ईश्वर मानव के लिए एक साथी की रचना करते/
इब्रानियों के नाम पत्र में से दूसरा पाठ 2:9-11 मसीह ने मानव जाती के साथ सब कुछ बांटा/
मार्कुस के सुसमाचार में से पाठ 10:2-16 विवाह एक अटूट संबध हॆ/
कलीसिया ने यह साल विश्वास की अभिव्रद्दी के लिए समर्पित किया हॆ/
संत पापा बेनेदिक्त सोलवें सात अक्टूबर को इस की घोषणा रॊम में करेंगे/
हम विश्वासी इस संदर्भ को अपने विश्वास के वरदान के विकास के लिए काम में लायेंगे/
हमारे विश्वास को द्रढ कर्ने के लिए हम सब को एक जुट होकर कार्य करना होगा/
ईश्वर ने हम को चुना ऒर विश्वास के वरदान से भर दिया हे/
यह दान हमें अपनी अच्छाई के कारण नहीं ईश्वर की उदारता के कारण प्राप्त हुआ हॆ/
संत पापा आज रॊम में विश्वास के साल की घोषणा करेंगे/
संसार भर के महामहिम कार्डिनल लोग, बिशप स्वामी गण जिन्हें इस महा स्भाके लिए निंमंत्रित किया गया हॆ इस के गवाह होंगे/
ईश्वर ने हम सब को चुन कर विश्वास का दान दिया हॆ/
यह दान हमारी शक्ती के कारण नहीं ईश्वर की उदार अनुकंपाके कारण हमें मिला हॆ/
इस कारण हमें हमारे विश्वास के दान के लिए ह्रदय की गहराई से आभार व्यक्त कर ना चाहिए/
हम सब ख्रिस्तीय विश्वासियों को ईश्वर ने एक विशेष कार्य के लिए बुलाया हॆ/
यह मिशन कार्य हर विश्वासी को कर्थव्य पूर्वक निभाना चाहिए/
संत पुष्पा ने अपने छोटे से जीवन काल में मिशन के लिए अपना जीवन समर्पित किया/
इसी लिए उसे सारी कलीसियाके मिशन की संरक्षिका के रूप में स्थान दिया गया हॆ/
हर रविवार जब हम विश्वासी पवित्र पूजा में संलग्न होकर हमारे विश्वास को घोशित करते तो वस्तव में हम ईश्वर के प्यार की घोषणा करते/
आज के तिन पाठ हमें ईश्वर की प्यार की कार्य क्षमता को दर्शाते/
ईश्वर ने पहले पाठ मे आदमी ऒर ऒरत की रचना का चित्र पाठ से हमें दिया हॆ/
उत्पत्ती ग्रंथ में ईश्वर को श्रष्टी कर्ता के रूप में हम मिलते/
ईश्वर सारे श्रष्ठी को श्रजन कर उसे मानव के उपयोग के लिए देता हॆ/
मानव हर रचना को नाम देकर उसे काम में लेने का प्रण करता हे?
पर उस्के साथी के रूप में उसे कोई न मिलता/
इस लिए ईश्वर उसे गाढ निद्रा में भेज कर उसके लिए एक साथी की श्रष्ठी कर प्रदान करता/
बाईबल में हमें दो प्रकार की श्रष्टी की बात देख ने को मिलती हॆ/
नर ऒर माधा ऎसा ईश्वर ने इस लिए बनाया ताकि उसकी श्रष्टी की प्रक्रिया चलती ही रहे/
हम देखते कि इस संसार में पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण दिशा होती/
वॆसे ही दो विपरीत दिशावों से एक समुचित दिशा की उत्पत्ती होती हॆ/
चीनियों ने इन ऒर यान नामक दो प्राक्रतिक विपरीत दिशा से ऎसि परिस्थिती का का चयन उन के वॆग्यानिक लोगों के सोच का माद्यम बना/
हम देखते हॆं कि इस संसार में परिवार की स्थापना विवाह से होती हॆ/
ख्रिस्तिय परिवार की रचना पवित्र संस्कार के माद्यम से होता हे/
यह संस्कार अटूट बंधन से स्त्री ऒर पुरुष के बंधन को एक सूत्र में बांध कर परिवार की स्थापना होती हॆ/
विवाह संस्कार के दरमियान स्त्री पुरुष एक दूसरे को जीवन भर साथ देकर साथ निभाने का वचन देते/
कलिसिया का बंधन ईसा मसीह के बंधन से स्थिर बन कर विवाह के बंधन से वह अपना स्थान लेता हॆ/.
आधुनिक युग में लोग अनेक प्रकार के ग्यान से अपनी सॊच को बदलने लगे हॆं/
पुरानी बातों से वे परहेज कर ने लगे हें/
लोग सोचते कि वे सब बाते अब बे माने हो गई हॆं
वे अब ज्यादा सीख गये हें/
पर हम जान ते कि हमारी अंतरात्मा हमें अपने अंदर की आवाज को सुनने के लिए प्रेरित कर सच्चे रास्ते पर ले जाने लगती हॆ/
आज के तीनो पाठ हमें ईश्वर के साथ अपनी आस्ता को द्रढ करने में सहायक होगी/
यही आशा के सात आप लोगों को एक सुगम रविवार की कामना करते
आपका हितॆशी
फादर जुजे वास एस.वि.डी.
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