ಶುಕ್ರವಾರ, ಜುಲೈ 6, 2012

सामान्य काल का चॊदवां रविवार B 08-07-12 आज का विषय:ईश्वर के वचन की अवहेलना/


सामान्य काल का चॊदवां रविवार B 08-07-12 आज का विषय:ईश्वर के वचन की अवहेलना/. प्रथम पाठ एजेकियेल प्रवादी का ग्रंथ::28b-2:2-5 ईश्वर का प्रेम सीमारहित हॆ/. दूसरा पाठ कुरिंथियों के नाम दूसरा पत्र: 12:7-10 पौलुस अपने शरीर की पीडा से ईश्वर के असीमित प्रेम का अनुभव करर्ता हॆ/ सुसमाचार मार्कुस का सुसमाचार:6:1b-6 शिश्यों का प्रेशण/. अपना दॆश विविध धार्मिक परंपरावों का भंडार हॆ/ विविध धर्मावलंबी हजारों सालों से एक दूसरे के साथ पडोसियों के रुप में जीवन बिताते आये हॆं/ पर अब यह समन्वय टूटने के कगार पर हॆ/ यद्यपी हमारे दॆश के बहुसंख्यक लोग यह जानते कि सबको मिल जुल कर जीना हॆ, पर आतंकी इस समन्वयता को खंडित करना चाहते/ अनेक बार मनमुटाव की भावना के बीज बोने का प्रयत्न होते रहता हॆ/ यद्यपी वर्षों से हम, हिंदू, मुसल्मान, बुध्दावलंबी, जॆनी, सीख, जेरोतोस्त्री, बहाई, क्रिस्ती आदी मिल जुल कर जीवन बिताते थे/ धर्मांधी इस समन्वय को बिगाडना चाहते/. यद्यपी हमारा देश धर्म पर आधारित न होकर वसुंधरा कुटुंबकम के सिध्दांत को मानने वाला देश हॆ/ संविधान हर भारतीय नागरिक को अपना धर्म मानने, उसका प्रचार कर्ने, आधि का अधिकार देता हॆ/ पर अनेक बार इस अधिकार को जब लागू करने की बात होती हॆ तो लोगों में एक छुपी भ्राति विद्यमान दीख पडती हॆ/ एक धर्मावलंबी दूसरे पर आक्रमण तक कर बॆठ्ते/ बहुसंख्यक, अल्पसंख्यकों का अधिकार का हनन कर्ना अपना अधिकार समझते/ अल्पसंख्यक लॊग अपने आप को असहाय महसूस कर्ते/ अनेक जगहों पर अल्पसंख्यकों की जमीन जायदाद लूट ली जाती हॆ उनके घरों को जलाया जाता हॆ/ धर्म के नाम पर लोग मर मिटने के लिए सिध्द हो जाते हॆं/ यह दस बीस साल पहले लोगों मे प्रचलित भावना न थी/ यहां तक कहा जाता हे कि एक धर्म के लॊग इस देश के नागरिक तक नहीं हॆ/ ऎसा कर धर्म को मुखोटा बना कर कई धार्मिक कट्टर पंथी समाज की शांती को ध्वस्थ कर ना चाहते/ इसी से आतंकवाद का जन्म होता हॆ ऒर लोग एक दूसरे को मारने, ऒर नाश कर्ने तक तुले रह्ते/. आज हमें प्रभु मसीह निमंत्रण दॆ रहें हॆ, कि हम कॆसे हमारा जीवन बिताएं/ उसने अपने सिध्दांत को लोगों तक लाने के लिए क्रूस का मरण तक अपनाया/\ निर्दोश होते हुए भी उसने दोशों का बोझ अपने कंधो पर लेकर पापियों को प्यार किया पाप से वॆर ;किया/ उसका उध्देश्य था कि हम अपने दुश्मनों से प्यार करें/ दुश्मनों को क्षमां कर उनको अपने समान प्यार करें./ हम सब को धार्मिक परंपरायें अपने परिवार से मिलतीं हॆ? जब हमारा जन्म हमारे परिवार में हुआ तो हम अपने धर्म से परिचित होने लगे/ हमारे माता पिताने हमें धार्मिक विषयों को समझाने का प्रयास किया/ गांवों में वे जहां रहा करते थे, बहां लोग आपसी भाई चारे का सबूत दिया कर्ते थे/ पर अब वॆशवी करण से लोग आसानी से एक जगह से दूसरी जगह जाते/ स्थिरता कम होगई हॆ/ इससे लोगों के धर्म पर भी असर हुआ हॆ/ इसी बात का फायदा आतंकी लॊग उठाकर आपस में फूट की भावना बोते हॆं/ आज हम सब इस पावन पूजा से अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने की टान लें/ धर्म को विभाजन का कारण न बनाकर एकता को लाने का प्रयत्न करें/ आपसी मनमुटाव को हटा कर प्रेम के बीज बोने का प्रयत्न करें/ आप हम सब इस पूजा को अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने का साधन बनायें/ आज ईसा मसीह हम सब को इस संसार की सभी जगहों पर भेज कर उनके प्यार को फॆलाने का आदेश देते हॆं/ इसे पूर्ण करने के लिए हमें अनेक त्याग को स्वीकार्ना होगा/ इस जीवन को हम अपने जीवको सार्थक बना कर ईश्वर के राज्य को एक दूसरे के जीवन में लाने का प्रयत्न करें/ आपका हितॆशी गुरू जुजे वास एस.वि.डी.

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