ಶುಕ್ರವಾರ, ಸೆಪ್ಟೆಂಬರ್ 19, 2014

साल का 25स्वां रविवार वर्ष 1 2014 विषय: मजबूत दया

साल का 25स्वां रविवार वर्ष 1  2014
विषय: मजबूत दया
21st  सितंबर 2014
पहला पाठ इसाईया नबी 55:6-9 यहोआ दया से परिपूर्ण/
फिलिप्पियों के नाम संत पोलुस का पत्र में से दूसरा पाठ 1:20-24a, 27 ख्रिस्त में ही पोलुस का जीवन केंद्रित था/
संत मथी के अनुसार सुसमाचार 20:1-16a मजदुरॊं की सही मजदूरि का हक/
ईश्वर  से अनुप्रेरणा मिलने का अनुभव हमें उसके प्रति जवाब्दार बना दे ता हॆ/
मेरे हर कार्य का फल मीठ जरूर होता हे/
मॆं दूसरों की भावना को महत्व दूंगा/
जब हम ईसा की सिखाई गई प्रार्थना सहज ता से दुहराते तो हमारा दया का अनुभव दुगना बन जाता हॆ/
ईश्वर की दया का सही उदाहरण हमें द्वितिय इसाईया के ग्रंथ से ग्यात होता हॆ/
प्रक्रति के निर्माण की सही तस्वीर य्हां बताई गई हॆ/
दूसरे पाठ में संत पोलुस उसके जीवन के केंद्रिकरण का तत्व का बोध कराते हॆं/.
सुसमाचार एक उदार असमी की कहानी हॆ/
ईसा इस कहानी से संसार के लोगों के क्रिया कलापों का ब्योरा दे रहे हॆं.
संसार एक दाक बारी से तुलना रूप में दर्शाया गया हॆ/
इस संसार में लोग अलग अलग समय सीमा में नहीं आते/
उन्हें विविध सांसारिक साधनों का अनुभव होता/
विविध तरह के लोगों से उनका पाला पडता/
जब मनुष्य ईसा के अनुकंपाका अनुभव कर्ता तो उसका जीवन संपूर्ण रूप से बदल जाता/
ईसा उसे, प्रकाश, नमाक ऒर राह बनने के लिए बुलाते/
इससे वह सं सार में आनंद का संचार करा सके/.
आज के तीनों पाठ हमें ईश्वर के प्यार को संसार भर में फेलाने के लिए तत्परित करते/
संसार की संपत्ती का मालिक ईश्वर ने मुझे मानव जाती के रूप में दिया हॆ/
मुझे प्रक्रति के बीच उसके ताज के रूप में बनाया/.
मेरा स्वार्थ मुझे अक्सर इस कार्य से दूर भगाता/.
जब ईसा ने आज के कहानीं में आखरी मजदूर को उतनी ही मजदूरी दी जितनि कि पहले को/
यही बात संसार के अंत में होगा/.
हम संसार में साधनों की खोज में एक देश से दूसरे देश पलायन करें/.
विविध भाषाओं से बातें करें/
यदी हमारे जीवन में प्रेम का अंश न हो तो हम किसी लायक न होंगे/
आइए ईश्वर के न्याय का अनुभव सच्चे अर्थ में करें/
इसी लिए हमें आज के पूजा का समय दिया गया हॆ/
आपका हितेशी महाराज जय व्यास एस.वि.डी. इन्दोर म.प्र.

ಕಾಮೆಂಟ್‌ಗಳಿಲ್ಲ:

ಕಾಮೆಂಟ್‌‌ ಪೋಸ್ಟ್‌ ಮಾಡಿ