ಶನಿವಾರ, ನವೆಂಬರ್ 30, 2013
शांति का समय आ गया हॆ 2013
आगमन का पहला रविवार: शांति का समय आ गया हॆ/ 2013
पहला पाठ इसाईया का ग्रंथ: 2:1-5 शांति का पथ/
दूसरा पाठ रोमियों के नाम संत पाउलुस का पत्र:13:11-14 प्रकाश की संतानें/
सु-समाचार: संत मत्ती का सु- समाचार:24:29-44 मुक्तिदाका का दूसारा आगमन/
हमारे जीवन में अनेक परिवर्तन हम देखते/
एक रितु से दूसरी रितु का आगमन जब हमारे जीवन में भी परिवर्तन लाता हॆ/
बारिश में हम बरसाती बाहर लाते, सब ओर हरियाली का आगमन होता/
बसंत में सब ओर फूल ही फूल नजर आते, पक्षी पशु पुल्कित मन से अंगडाई लेते/
गर्मी में लोग ठंडी का आगमन की बाट जोहते/
ठंडी में गरम कपडों को ओढे बाहर निकलते/
यह मानव स्वभाव ही हॆ कि विविध समय का आगमन विविध रूप से वे स्वागत करते/
कलीसिया में भी विविध प्रकार का काल रहता हॆ/
साधारण काल में हम विविध रूप के त्योहारों को मनाते/
आगमन काल में त्योहारों की परहेज करते/
यही हाल प्रायश्चित काल में भी देखा जा सकता हे/
पास्का के समय हम खुशियों का इजहार करते/
अब कलिसिया आगमन का काल मनाने वाली हॆ/
आगमन का समय, मुक्तिदाता के आगमन की बाट जोहने का समय हॆ/
पर ईसाइयों के जीवन में जब प्रभु ईसा मसीह का आगमन हो गया हो, ऒर उन्हें विश्वास का वरदान प्राप्त हुवा हो, तो आगमन का समय अपने पापों को स्वीकार कर तॆयारी का समय हॆ/
आज के तीनों पाठ हमें इसी बात का परिचय देते हॆं/
ईसाईया नबी कहता हॆ कि मुक्ति दाता के आने पर सब ओर शांति का आगमन होगा/
सब बुराई का त्याग कर अच्छाई का स्वागत करेंगे/
दूसरे पाठ में संत पॊलुस हमे रोमियों के नाम पत्र में बुराई के अवगुणों को त्यागने का न्योता देते हॆं/
अवगुणॊं की एक लंबी लाइन वे लिख कर हमें इस से अवगत कराने का प्रयत्न कर रहे हॆं/
सु समाचार मत्ती के ग्रंथ में से लिया गया हें जहां प्रभु ईसा के दूसरे आगमन की एक झलक हमें दिखाने की कोशीष की गई हॆ/
क्या हम इस प्रकार के जीवन से प्रेरणा पा कर अपने जीवन की नॆया को पलट कर एक नई दिशा देने की कोषीष इस आगमन में कर सकेंगे?
आइए अपने दिलों के द्वार को खोल कर ईसाको सही जगह वहां दें/
आगमन २०१३ हमे एक नई आशा से भर दे/
आपका दिव्य शब्द संस्था का सदस्य:
फादर जुजे वास एस.वि.डी.
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