ಶನಿವಾರ, ಜೂನ್ 30, 2012

न्याय भरे जीवन का अंत न होगा/सामान्य समय का तेरवां रविवार: साल B 01-07-12

सामान्य समय का तेरवां रविवार: साल B 01-07-12 आज का विषय:न्याय भरे जीवन का अंत न होगा/ ग्यान वाणी ग्रंथ में से पहला पाठ 1:13-15, 2:23-24 ईश्वर ने हमें उसके अनंत प्रेम से जॊवन क अनुदन दिया हॆ/ कुरिंथियों के नाम दूसरे पत्र में से दूसरा पाठ: 8:7.9, 13-15 हमारे जीवन के क्षणॊं मे हमे एकता की आशा रखनी हॆ/ संत मार्कुस के सुसमाचार में से 5:21-43 मसीह हमेशा जीवन का उद्दार चाहे/ हर मनुष्य का एक ही उद्धेश्य रहा हे कि जीवन को वह सुख शांती से जीये/. जीवन की नॆया विविध रूप में मानव जीता हॆ/ जीवन का सही अर्थ मानव को परिवार के जीवन से ही प्रथम बार अनुभव होता हॆ/ बच्चा माता पिता, सगे संबधि यों से जीवन का महत्व जानने लगता हॆ/ माता पिता अपने बच्चों की आवश्यकता पूरी करने के लिए क्या क्या त्याग नहीं करते? हमेशा यह सुनने में आता हॆ कि,"हमें जो न मिला मेरे बच्चों को न होना हॆ"/ माता पिता के त्याग से अनेक बार बच्चे नयापन न सीख कर केवल स्वार्थ के अवलंभी बनने/ संवेदना से वंचित अनेक बार बडे होने पर मांबाप के त्याग का असर उन पर नहीं दिखाई देता. माता पिता त्याग कर अनेक सुख सुविदावों का प्रभंद बच्चों के लिए करते, फिर भी परिवार में शांति ऒर त्रप्ति की कमी दिखाई देती हॆ/ आज कल के स्पर्धात्मक परिस्थिती में ज्यादा पाने की लालसा मुक्त रूप से दिखाई देती हॆ/ दूसरों की देखा देखी इस होड में लगे रहते हॆं कि मेरे पास एक चीज हो तो उस से भी बढिया चीज की खोज में हर दिन मनुष्य व्यस्थ रहता हॆ/ मेरे इस मनन चिंतन को देख कर अनेक पाठ्क यह सोच ते होंगे कि इस पुरोहित को सांसारिक ग्यान की कमी होने से इस प्रकार के बातों को हमारे सामने रखते हॆ> हमे इस संसार में रहना हॆ/ उन्हें खाने पीने की सुविधा आसानी से प्रप्त हॆ, हमें मेहनत कर्ने से ही यह सब मिलता हॆ/ संयुंक्त पारिवारिक जीवन का अनुभव अनोका हॆ/ अब संयुंक्त परिवार की परिभाषा ही खतम हुई हॆ/ अब एक बच्च ऒर मां बाप/ कभी कभी दो बच्चे ऒर मां बाप, एक आया, दोनों मां बाप नॊकरी पर घर में बच्चे ऒर आया/ बच्चे क्या सीखेगें जो आया का नियम हॆ वही बच्चों का होगा/ बच्चों पर घुस्सा होना उन्हें डांटना व्यर्थ हॆ/ पहले हमें हमारी मनोभावना को बदलना होगा/ पूरा संयुंक्त परिवार का जीवन अलग ही था/ उसमें आंनंद भी था गम भी/ बच्चे नाना नानी, दादा दादी, मामा मामी, चाचा चाची, भाई भाभी,छोटे भाई छोटी बहन से से जो सीखते थे वह अब कहां? परिवार की सीमा ही बदल गई हॆ/. लोगों का जीवन सीरियलों के ऊपर निर्भर रहने लगा/ दिन भर छोटे बच्चे टीवी के सामने बॆठे रहेंगे तो क्या सीख सकेंगे?. परिवार में यदी किसी बात की कमी हे वह प्यार ऒर संवेदना/ अब हमारा जीवन सुखी बना ने के लिए बुड्डे बुड्डों का रहवास बना दिया/ हमारे बडे बुजुर्गों को वाहां भेज क हम ऎश कर्ना चाहते/ हमारी परंपराओं को हमने हमारे जीवन से दूर किया/ इसका परिणाम अब हम भुगत रहे हॆ/ आज का पहला पाठ हमें ईश्वर के अपार प्यार का परिचय देता हॆ/ हरेक मनुष्य का जीवन एक विशेष कारण से बनाया गया हॆ/ पिता ईश्वर के अपार प्रेम काही परिचय हॆ कि ईश्वर होते हुए भी ईसा मसीह संसार में मानव जीवन धारण किए/ इस से उन्होंने हमें पाप के बंधन से मुक्ति का दान दिया/ पर मानव आभी भी यही सोचता कि उस पर आने वाली विपदा उसका भाग्य का परिणाम हॆ/ ईसा ने सिध्द कि या कि भाग्य नाम का कोई असर ही नहीं/ वय स्वेच्चा से म्रत्यु तक गये/ ताकि उनकी म्रत्यु से हम जीवन का दान प्राप्त कर सकें/ कई बार ईसा कहते हॆ कि मेरा समय नही आया हॆ/ इसका मतलब वह जान्ते थे कि वे नसीब, या भाग्य से नहीं स्वेच्छा से ही पाप पर विजय प्राप्त करेंगे/. ईश्वर पर विश्वास रखने वाला हर व्यक्ती के जीवन में कभी बुराई न होगी/ अनुमानित बुराई भी अंत समय अच्छाई में बदल जायेगी/ ईश्वर के शब्दावली में नसीब नाम का शब्द ही नहीं हॆ/ यह मनुष्य का घडा एक निराशी का निशाना हॆ/ ईश्वर हर बार अच्छा ही करते जाता हॆ/. हम देखते कि किस प्रकार से हमने संसार की वस्तुवों का विनाश हमारे स्वार्थ से किया हॆ/ पेड पॊदे, झाड बगीचों को हमने हमारे स्वार्थ के लिए नाश किया/ इससे हमारे परिसर बिगड गये, प्रक्रति प्रदूशित हुई, पानी बरस ना बंध हो गया/ नदी नालों पर हमने आक्रमण कर उसके बहाव को बदला/ उप पर बांध आदि बांध कर प्रक्रति को अवरोधित किया/ इस का दुश्परिणाम हम भुगत रहे हॆं/. इस विनाश कारी स्थिति के जवाब्दार कॊन हम स्वयंम/ दूसरा पाठ हमें उदारता की भावना जाग्रत करने बुलाता/ ईश्वर ने हमें संसार की हर वस्तु उदार मन से प्रदान की हॆ/ इस का अनोका उदाहरण ईसा मसीह का इस संसार में जन्म लेना/ उसने ईश्वर होते हुए भी हमारे समान मनुश्य बन कर हमें उदार्ता का पाठ पढाया/ ईसा हमें हमारे जीवन को मिल बांट कर जीना हॆ यही शीख दे ते हॆं/ संत पावुलुस कहते हॆं की ईसा ने ईश्वर होते हुए भी कभी भी मनुश्य के हर बात को जीने से इनकार नहीं किया सहर्ष इस को अपने जॊवन का अंग बना कर जिये/ आज का सुसमाचार मानव जाती के लिए एक नये संदेश के साथ आया हॆ/ दो अचरज हमारे सामने प्रस्तुत किये गये हॆं/ रक्तस्राव से पीडित स्त्री का स्वास्थ्य लाभ हमारे लिए एक ऎसे शस्त्र के रूप मे प्रस्थुत किया गया कि सब उसे अपना सकते/ उस्का विश्वास अनुकरणीय दर्शाया गया हॆ/ भीड में से आगे आकर वह ईसाका वस्त्र छू कर ठीक होती हॆ/ यही विश्वास की पराकाश्ठा पर सच्ची उतरने की कला दिखाई देती हॆ/ दूसरा अचरज म्रत जायरुस की बेटी को जीवन दान/ सब ईसा के आगमन पर निराश दिखाई देते/ पर ईसा जायरुस को सांत्वना देकर कहते/ विश्वास रखॊ तुमारी पुत्री फिर जीवित हो कर उठ बॆठेगी/ यहां पर ईसा का जीवन के प्रति आदर दिखाई देता हॆ/ साथ ही साथ वह हमें कन्या ऒं के जीवन को कभी भी नाश न करने की सलाह देते/ आधुनिक युग एक ऎसा युग हॆ कि सब लोग सुख सुविधा की प्रशंसा कर मानव हत्या का पाठ पढाते/ भ्रूण हत्या एक सामान्य बात होकर रह गई/ नारी पीडा, अत्याचार , अन्याय तो जीवन मर्र्र की बात होकर रह गई/ कितने ऎसे बलात्कार के कांड सामने आते तो कोई इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त न कर्ता./ गर्भपात तो कोई पाप नहीं? मनुष्य मारने मरने डरता नहीं/ ऎसा करने के लिए कई देशों मे कानून तक लागू किये गये हॆं/ लडकियां हमें नही चाहिए ऎसी भावना लोगों मे घर कर गई हॆ/ हमारा कानिश्मार यह बताता कि पुरुष महिला का अनुपात .घट गया/ 1000 पुरुषों के लिए केवल 900 महिला रहीं हॆं/ क्या यह उचित हॆ? इतनी शिक्षा ऒर विकास होने के बाद भी अब हमार मनोभाव न बदला/ लडकी नहीं लडका चाहिए/ यह कब बदलेगा? आज ईसा हमसे सवाल पर सवाल कर रहे हॆ? अभी भी हमारे जीवन में पाप के अनेक कारण घर कर गये हॆं/. आज की यह पूजा हमारे जीवन मे प्रकाश की ज्योती जला दे/ जीवन का महत्व हम समझ कर अपने जीवन के लक्श्य त्क पहुंच सकें इसी आशा के साथ आप सब को एक अच्छा रविवार की आशा कर्ता हूं/ आपका हितॆशी/ फादर जो वास एस.वि.डी.

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